To Celebrate My Recent Shift to Smartphones ...
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बीवी के साथ डिनर पे जाऊँगा
उसकी बातोँ पर ध्यान ना देकर
Twitter पे लगा रहूंगा
अंत में उसके साथ एक प्यारा सा
सेल्फ़ी खींच फेसबुक पे लगाउँगा
लोग 'लाइक' करेंगे, पर मन में जलेंगे:
'साला पढ़ाकू professor चला हीरो बनने.'
मैंने भी इस्मार्ट फ़ोन ले लिया.
यारोँ मैं भी इस्मार्ट बन गया.
कहानी, उपन्यास तो दूर,
अब अखबार के लेख भी लगने लगे हैं बोर
टेम्पल रन की तेज़ी
और whatsapp की काना फूसी, बस
बाकी सब है शोर
मैंने भी इस्मार्ट फ़ोन ले लिया.
साला मैं भी इस्मार्ट बन गया.
पंछी के कलरव हो या traffic का कोलाहल.
सुनूंगा तभी जब इंटरनेट से downloaded हो.
सूर्य का उदय, या शिशु की हँसी
देखूंगा तभी जब youtube पे uploaded हो.
मैंने भी इस्मार्ट फ़ोन ले लिया.
अब तो मैं भी इस्मार्ट बन गया.
सब से नज़रें चुराए रहूंगा.
बस हो या बगीचा, lift हो
या सड़क का कोई मोड़
हैडफ़ोन, hands-free FM में मस्त
देखूंगा भी तो यूँ कि मानो हो
'Do not disturb' का बोर्ड
ग़ैर तो ग़ैर, अपनो की बातें सुनने का भी
अब धीरज ना होगा।
कल जो था attention deficit disorder,
उसका नाम अब fashion होगा।
जैसे ही की किसी ने अटेंशन की मांग,
Facebook, Twitter की शरण में जाऊंगा.
कोई update ना हो तो
candy crush से ही काम चलाउंगा.
इतनी बड़ी इस दुनिया को
पाँच by तीन के चौकोन में ढूंढूंगा.
सब लोग तो आजकल यही करते हैं
मैं भी ऐसा ही करूँगा.
चंद सिक्को के एक खिलोने से.
अब तो मैं भी स्मार्ट बन गया.
देर से ही सही पर आखिर
मैंने भी स्मार्ट फ़ोन ले ही लिया.
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बीवी के साथ डिनर पे जाऊँगा
उसकी बातोँ पर ध्यान ना देकर
Twitter पे लगा रहूंगा
अंत में उसके साथ एक प्यारा सा
सेल्फ़ी खींच फेसबुक पे लगाउँगा
लोग 'लाइक' करेंगे, पर मन में जलेंगे:
'साला पढ़ाकू professor चला हीरो बनने.'
मैंने भी इस्मार्ट फ़ोन ले लिया.
यारोँ मैं भी इस्मार्ट बन गया.
कहानी, उपन्यास तो दूर,
अब अखबार के लेख भी लगने लगे हैं बोर
टेम्पल रन की तेज़ी
और whatsapp की काना फूसी, बस
बाकी सब है शोर
मैंने भी इस्मार्ट फ़ोन ले लिया.
साला मैं भी इस्मार्ट बन गया.
पंछी के कलरव हो या traffic का कोलाहल.
सुनूंगा तभी जब इंटरनेट से downloaded हो.
सूर्य का उदय, या शिशु की हँसी
देखूंगा तभी जब youtube पे uploaded हो.
मैंने भी इस्मार्ट फ़ोन ले लिया.
अब तो मैं भी इस्मार्ट बन गया.
सब से नज़रें चुराए रहूंगा.
बस हो या बगीचा, lift हो
या सड़क का कोई मोड़
हैडफ़ोन, hands-free FM में मस्त
देखूंगा भी तो यूँ कि मानो हो
'Do not disturb' का बोर्ड
ग़ैर तो ग़ैर, अपनो की बातें सुनने का भी
अब धीरज ना होगा।
कल जो था attention deficit disorder,
उसका नाम अब fashion होगा।
जैसे ही की किसी ने अटेंशन की मांग,
Facebook, Twitter की शरण में जाऊंगा.
कोई update ना हो तो
candy crush से ही काम चलाउंगा.
इतनी बड़ी इस दुनिया को
पाँच by तीन के चौकोन में ढूंढूंगा.
सब लोग तो आजकल यही करते हैं
मैं भी ऐसा ही करूँगा.
चंद सिक्को के एक खिलोने से.
अब तो मैं भी स्मार्ट बन गया.
देर से ही सही पर आखिर
मैंने भी स्मार्ट फ़ोन ले ही लिया.
5 comments:
Very curious to know what made you take a smartphone?
The old phone went bad and you did not get any non-smartphone-model?
Somebody gifted you a smartphone?
Some favourite app of yours made you switch. If so, will be really interested to know that app.
Sambaran. I will try my level-best that it wasn't peer pressure and my own hidden materialism which made me switch. I myself ain't convince of that though! :)
Anyway, the primary use cases are camera, Internet, and personal organisation tools. Number of times, I have come across a subject which I felt I would like to capture (for possibly sketching or painting later on), but not having a camera handy has caused me to miss out on that. Internet, particularly shopping kind of thing (ticket booking) or little googling, all these can now be done with less barrier with a smartphone. Personal organisation tools in all my older phones were inferior to my old diary on which I maintain my to-do list. I am hoping to make the shift to electronic organiser with a smartphone.
I had been contemplating for quite a while whether I should switch back to a smart phone. After reading your poem, I think I won't.
Thanks....
Jabardast vyang hai....jhakjhor to diya magar jab maine wohi 3 by 5 ka chaukona on kiya.. ab to bhaiya ye aakhri saans tak chalega.. laga to yehi hai..
Satire at its best
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