(Poem written by my friend Sudhanshu for my son Vigyan) - Thanks Sudhanshu! There can't be a better gift than a creatively exposed thought or feeling. :)
विज्ञान के लिए
एक शिल्पी के सृजन से ज्ञान की ज्योति जली
ज्ञान की ज्योति में थी जीत की अद्भुद चमक,
ज्योति है वो ज्ञान की, शिल्प के अभिमान की
जीत के अनुराग की, जीवन के अनुसन्धान की,
पर ज्ञान वो विशेष है, सहस का जिसमे निवेश है,
सुजीत शिल्पी के लिए, वो प्रेम का सन्देश है,
ईश्वर करे वो ज्योति फिर बन जाये अग्नि यज्ञ की,
आहुति जिसमे सत्य की, और अर्चना हो कर्म की,
फल मिलेगा यज्ञ का, रूप लेकर ज्ञान का,
ज्ञान के संधान से, होगा जनम विज्ञान का
सुधांशु शर्मा (अमृत)
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